India US 2+2 Dialogue : कब और क्यों हुई शुरुआत, विदेश और रक्षा मंत्रियों की बैठक में क्या होते हैं एजेंडे?

नई दिल्ली: भारत और अमेरिका के बीच चौथे दौर की 2+2 मंत्रीस्तरीय बातचीत आज वॉशिंगटन में होगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर अभी अमेरिका की राजधानी में ही हैं। बड़ी बात है कि भारत ने पहली बार 2+2 मंत्रीस्तरीय बातचीत का तंत्र सबसे पहले अमेरिका के साथ ही स्थापित किया। इस फॉर्मेट के तहत दोनों देशों के बीच अब तक तीन दौर की बातचीत हो गई है। भारत ने इस तरह का मैकनिजम सिर्फ चार देशों के साथ ही विकसित किया है। वो देश हैं- अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और रूस।

2+2 डायलॉग का महत्व
2+2 डायलॉग में सामरिक, रक्षा और सुरक्षा संबंधों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। इस तंत्र के अधीन दोनों देशों के रक्षा और विदेश मंत्रियों के बीच बातचीत होती है। इसका मकसद भारत और अमेरिका के बीच सामरिक साझेदारी के लिए एक सकारात्मक, दूरंदेशी दृष्टि और उनके राजनयिक एवं सुरक्षा प्रयासों में तालमेल को बढ़ावा देना है। इस प्लैटफॉर्म से दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास में वृद्धि के साथ-साथ शीर्ष प्राथमिकताओं को बातचीत के अजेंडों में सबसे ऊपर रखा जाना सुनिश्चित होता है। अमेरिका से इतर भारत के जापान, ऑस्ट्रेलिया और रूस के साथ 2+2 डायलॉग की व्यवस्था है। अमेरिका के बाद भारत ने जापान के के साथ 30 नवंबर 2019 को पहली 2+2 मंत्रीस्तरीय बातचीत की थी। वहीं, ऑस्ट्रेलिया के साथ 11 सितंबर 2021 को जबकि रूस के साथ 6 दिसंबर 2021 को पहली 2+2 मिनिस्टेरियल डायलॉग हुआ था।

भारत-अमेरिका के बीच तीन बार हो चुकी है 2+2 वार्ता

भारत-अमेरिका के बीच 2+2 डायलॉग मैकनिजम के तहत पहली बैठक 6 सितंबर 2018 को नई दिल्ली में हुई थी। उसमें भारत की तत्कालीन रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और दिवंगत विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने जबकि अमेरिका की तरफ से रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस और विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने हिस्सा लिया था। उस मीटिंग में दोनों पक्षों ने काफी महत्वपूर्ण सुरक्षा समझौतों पर दस्तखत किए, रक्षा और विदेश मंत्रियों के बीच हॉटलाइन स्थापित करने पर सहमति जताई और रूस से एस-400 रेडार सिस्टम, ईरान से कच्चे तेल की खरीद जैसे संवेदनशील मुद्दों पर खुलकर बातचीत हुई थी। उसी डायलॉग में भारत का अमेरिका के साथ सबसे पहले रक्षा समझौते- कम्यूनिकेशंस कॉम्पेटिबिलिटी एंड सक्यॉरिटी अग्रीमेंट (COMCASA) को अंजाम दिया गया था। दूसरी भारत-अमेरिका 2+2 मंत्रीस्तरीय वार्ता 19 दिसंबर 2019 को हुई थी। वहीं, 27 अक्टूबर 2020 को हुई तीसरी बातचीत में बेसिक एक्सचेंज एंड को-ऑपरेशन एग्रीमेंट (BECA) पर दस्तखत हुआ था।

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2+2 डायलॉग का इतिहास
भारत ने 2+2 डायलॉग की शुरुआत अमेरिका के साथ ही की थी। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि भारत इस तरह का तंत्र विकसित करने से संकोच कर रहा था, लेकिन अमेरिका ने जोर दिया। यह भी जानने के जरूरत है कि 2017 में जब अमेरिका ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 2+2 मैकनिजम बनाने को राजी किया तब तक अमेरिका का सिर्फ ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ ही यह तंत्र था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हाल के वर्षों में अमेरिका की नजर में भारत अहमियत कितनी ज्यादा बढ़ी है।

भारत की ताकत समझता है अमेरिका
एक्सपर्ट्स की मानें तो अमेरिका को अंदाजा हो चुका है कि भारत आर्थिक और सामरिक मोर्चे पर काफी ताकतवर होता जा रहा है। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने शनिवार को ही कहा था कि अमेरिका के लिए भारत के साथ संबंधों में गहराई का काफी महत्व है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जून 2017 में वॉशिंगटन के दौरे पर थे, तभी 2+2 मंत्री स्तरीय बातचीत का तंत्र स्थापित करने पर चर्चा हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका के आग्रह पर विचार करने का भरोसा दिलाया और फिर अगस्त 2017 में भारत-अमेरिका 2+2 डायलॉग मैकनिजम की आधिकारिक घोषणा हो गई। इससे पहले तक भारत किसी देश के साथ सचिव स्तर तक की मीटिंग ही किया करता था। भारत ने जापान समेत कई देशों के साथ सचिव स्तरीय बातचीत का मंच विकसित किया हुआ था।

नई सदी में खुला भारत-अमेरिका संबंधों का नया अध्याय

दरअसल, भारत की नजर में 2+2 डायलॉग दो देशों के बीच राजनीतिक और सैन्य स्तर पर काफी करीबी तथा क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर परस्पर सहयोग का प्रतीक होता है। हालांकि, वर्ष 2000 के बाद भारत का अमेरिका के साथ रिश्ते प्रगाढ़ होते गए और वक्त के साथ-साथ दोनों देशों के बीच रिश्तों में लगातार नए आयाम जुड़ते चले गए। वर्ष 2008 में भारत-अमेरिका के बीच असैन्य परमाणु सहयोग समझौता हुआ और 2016 में अमेरिका ने भारत को बड़ा रक्षा साझेदार घोषित कर दिया। अमेरिका ने भारत की परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) की सदस्यता देने की भी वकालत की। उसने कहा कि हिंद महासागर की सुरक्षा का पूरा दारोमदार भारत पर है। साथ ही उसने हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा में भारत को अपना साझेदार घोषित कर दिया।

ट्रंप प्रशासन की देन है 2+2 डायलॉग

भारत-अमेरिका के बीच 2+2 डायलॉग ने दोनों देशों के बीच रणनीतिक और वाणिज्यिक बातचीत ( India-US Strategic and Commercial Dialogue) की जगह ली जो अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल की प्रमुख उपलब्धि थी। ओबामा प्रशासन ने टिकाऊ आर्थिक विकास, नौकरियां बढ़ाने, कारोबार और निवेश माहौल को सुधारने के साथ-साथ नियम आधारित वैश्विक व्यवस्था कायम करने का लक्ष्य साधने के लिए भारत-अमेरिका स्ट्रैटिजिक एंड कमर्शल डायलॉग का सिस्टम बनाया था।

2+2 डायलॉग से पहले बाइडेन-मोदी में भी बातचीत
बहरहाल, भारत-अमेरिका 2+2 मिनिस्टेरियल डायलॉग से पहले दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों की भी बातचीत होगी। अमेरिका की पहल पर मंत्रीस्तरीय बातचीत से पहले राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बातचीत भी होनी है। भारत-अमेरिका के बीच राजनयिक संबंधों (Diplomatic Relation) की स्थापना के 75 वर्ष हो गए हैं। आज जब रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच दुनिया कई धड़ों में बंटी हुई है तब भारत के रुख को लेकर अमेरिका बार-बार मायूसी का इजहार कर रहा है। इसी पृष्ठभूमि में पहले बाइडेन-मोदी और फिर दोनों देशों के रक्षा और विदेश मंत्रियों की बातचीत काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

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